Monday, August 27, 2018

आर्थिक संकट के बीच ईरान के श्रम मंत्री के बाद वित्त मंत्री पर महाभियोग

देश में जारी आर्थिक संकट के बीच ईरान की संसद ने वित्तमंत्री मसूद कर्बासियां को पद से हटा दिया है.
मसूद के ख़िलाफ़ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसमें वो हार का सामना करना पड़ा. उनके पक्ष में 121 और विपक्ष में 137 वोट पड़े.
अविश्वास प्रस्ताव यह कहकर लाया गया था कि मसूद देश की बैंकिंग व्यवस्था, टैक्स नियमन और अर्थव्यवस्था को संभालने में असफल रहे हैं.
ईरान में पिछले दो हफ़्तों में दो मंत्रियों को महाभियोग के जरिए हटाया जा चुका है.
आठ अगस्त को देश के श्रम मंत्री अली रबेई को हटाया गया था.
राष्ट्रपति हसन रूहानी की सरकार ईरान में बढ़ती महंगाई और ईरानी मुद्रा रियाल की गिरती कीमत को काबू में करने के लिए संघर्ष कर रही है.
इस वक़्त रूहानी को न सिर्फ़ कट्टरपंथी बल्कि सुधारवादी धड़े की तरफ़ से भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
अमरीका ने इस साल मई महीने में ईरान पर साल 2015 में हटाए प्रतिबन्ध दोबारा लगा दिए थे जिसके बाद ईरान में वित्तीय संकट और बढ़ गया है.
समाचार एजेंसी तस्निम की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ ने रविवार को अमरीका पर ईरान और इसके कारोबारी सहयोगियों के ख़िलाफ़ एक 'मनोवैज्ञानिक युद्ध' छेड़ने का आरोप लगाया.
सुधारवादी धड़े के इलियास हज़राती भी अविश्वास प्रस्ताव में कर्बासियां के ख़िलाफ़ वोट करने वालों में शामिल थे. उन्होंने रूहानी सरकार पर प्रतिबन्धों के असर से निबटने की तैयारियों में नाक़ाम होने का आरोप लगाया.
हज़राती ने कहा, "हमने न तो उस वक़्त तैयारी की और न हम अब तैयार हैं. अभी हम जिस एक शख़्स को पद से हटा सकते थे वो वित्तमंत्री थे वरना तो राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जाना चाहिए था."
इससे पहले जून में ईरान की राजधानी तेहरान में कारोबारियों ने ग्रैंड बज़ार में बढ़ते दामों और रियाल की गिरती क़ीमत के ख़िलाफ़ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.
विरोध प्रदर्शन इतना आक्रामक हो गया था कि पुलिस को संसद की तरफ़ मार्च करते प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था.
साल 2012 के बाद से यह राजधानी तेहरान में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था.
साल 2012 में ईरान की परमाणु गतिविधियों की वजह से उस पर अंततराष्ट्रीय स्तर पर पाबंदियां लगी थीं और तब भी ईरान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी.

No comments:

Post a Comment